Dakhil Kharij Kya Hota Hai: जब कोई व्यक्ति जमीन/मकान खरीदता है, विरासत में पाता है या उपहार /दान से प्राप्त करता है, तब उसकी मालिकाना हक़ (Ownership) राजस्व रिकॉर्ड (खसरा-खतौनी) में दर्ज कराई जाती है। इसी प्रक्रिया को दाख़िल-ख़ारिज कहा जाता है।
• दाख़िल (Dakhil): नए मालिक का नाम ज़मीन के रिकॉर्ड में दर्ज होना।
• ख़ारिज (Kharij): पुराने मालिक का नाम रिकॉर्ड से हट जाना।
आसान शब्दों में, दाख़िल-ख़ारिज वह प्रक्रिया है जिसमें जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद नए मालिक का नाम राजस्व रिकॉर्ड (खतौनी) में जोड़ दिया जाता है और पुराने का नाम हटा दिया जाता है।
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दाख़िल-ख़ारिज (Dakhil Kharij) क्यों ज़रूरी है?
1. कानूनी अधिकार का सबूत
जब आप कोई ज़मीन/मकान खरीदते हैं, तो Registry (Sale Deed) तो आपके पास होती है। लेकिन राजस्व रिकॉर्ड / नगर निगम रिकॉर्ड में आपका नाम तभी दर्ज होगा जब Mutation हो। मतलब, सरकारी रिकॉर्ड में आपका मालिकाना हक तभी दिखेगा।
2. Tax (कर) सही मालिक के नाम पर लगेगा
• Mutation के बाद Property Tax / Land Revenue आपके नाम से जमा होगा।
• इससे यह साबित होता है कि आप वास्तविक मालिक हैं और टैक्स आप ही भर रहे हैं।
3. विवाद से सुरक्षा
• Dakhil Kharij न होने पर पुराने मालिक का नाम रिकॉर्ड में बना रहता है।
• इससे भविष्य में जमीन/मकान पर कानूनी विवाद हो सकता है।
• Mutation आपके अधिकार को सुरक्षित करता है।
4. Bank Loan और Mortgage के लिए ज़रूरी
• अगर आपको उस प्रॉपर्टी पर होम लोन या लोन के बदले गिरवी रखना है, तो Mutation Certificate अनिवार्य है।
5. विरासत के मामलों में जरूरी
• किसी की मृत्यु के बाद वारिसों के नाम Property लाने के लिए Mutation होना ज़रूरी है।
• इससे भविष्य में परिवार में विवाद कम होते हैं।
6. बिक्री/खरीद में पारदर्शिता
• Mutation होने से Buyer को भरोसा रहता है कि प्रॉपर्टी पर कोई और दावा नहीं है।
• इससे प्रॉपर्टी का Market Value भी साफ-साफ दिखता है।
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संपत्ति का दाख़िल-ख़ारिज (Mutation) न होने से होने वाली समस्याएं—
एक साधारण उदाहरण:
मान लीजिए आपने पटना (बिहार) में एक ज़मीन खरीदी और Registry आपके नाम हो गई। लेकिन आपने Mutation (दाख़िल-ख़ारिज) नहीं कराया। अब सरकारी रिकॉर्ड में अभी भी पुराने मालिक “रामलाल” का नाम चल रहा है।
Case 1 – Tax Issue
• नगर निगम/राजस्व विभाग में अभी भी रामलाल ही Owner दिख रहा है। इसलिए Property Tax का Bill रामलाल के नाम आएगा।
और अगर रामलाल Tax न भरे तो आपके खिलाफ भी Notice आ सकता है, क्योंकि Registry आपके नाम है लेकिन Record अपडेटेड नहीं।
Case 2 – Loan Issue
• आप उस ज़मीन पर Bank से Loan लेना चाहते हैं।
Bank सबसे पहले राजस्व रिकॉर्ड (Mutation Certificate) देखेगा। वहाँ आपका नाम न देखकर Loan Reject कर देगा।
Case 3 – Dispute Issue
• रामलाल के बेटे को लगता है कि यह जमीन अभी भी उनके पिता की है (क्योंकि Record में उनका नाम है)। वो कोर्ट में केस कर देंगे। आपको Registry दिखानी पड़ेगी और Mutation न होने से मामला लंबा खिंच सकता है।
संक्षेप में:
Registry से आप Owner बनते हैं, लेकिन Mutation से आप Owner के रूप में सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होते हैं। यही कारण है कि दाख़िल-ख़ारिज हर जगह (चाहे बिहार, दिल्ली या हरियाणा) बहुत जरूरी है।
दाख़िल-ख़ारिज की आवेदन प्रक्रिया (Dakhil Kharij Online Apply Step by Step)
— Online Apply:
• अपने राज्य के राजस्व विभाग की वेबसाइट/पोर्टल (जैसे UP Bhulekh, Delhi Land Record, Bihar Bhumi इत्यादि) पर जाकर दाख़िल-ख़ारिज के लिए आवेदन किया जा सकता है।
• ऑनलाइन फ़ॉर्म भरना होता है और डॉक्यूमेंट अपलोड करने पड़ते हैं।
• आवेदन के बाद एक Acknowledgement/Receipt नंबर मिलता है।
— Offline Apply:
• तहसील/राजस्व कार्यालय (तहसीलदार/पटवारी/लेखपाल) के पास आवेदन करना होता है।
• आवेदन पत्र में खरीदी गई जमीन/मकान का पूरा विवरण देना होता है।
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दाख़िल-ख़ारिज जरूरी दस्तावेज़
• रजिस्ट्री की कॉपी (Sale Deed/ Gift Deed/ Will)
• खतौनी/खसरा की नकल
• पहचान पत्र (Aadhar, PAN आदि)
• पासपोर्ट साइज फोटो
• विरासत में नाम चढ़वाने पर – मृत्यु प्रमाण पत्र और वसीयत/वारिसान नामावली
जांच प्रक्रिया (Verification)
• लेखपाल/पटवारी मौके पर जाकर जमीन की स्थिति देखता है।
• पड़ोसियों से पूछताछ की जाती है कि कोई विवाद तो नहीं।
• कब्ज़े की जांच भी की जाती है।
सुनवाई प्रक्रिया (Hearing)
• अगर किसी ने आपत्ति की (जैसे भाई-बहन, रिश्तेदार, पड़ोसी), तो तहसील में सुनवाई होगी।
• तहसीलदार/राजस्व अधिकारी दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय देता है।
नाम दर्ज प्रक्रिया (Mutation Entry)
• सब ठीक होने पर तहसीलदार आदेश देकर नए मालिक का नाम खतौनी में दर्ज करवा देता है।
• पुराने मालिक का नाम खारिज कर दिया जाता है।
• आपको अपडेटेड खतौनी/खसरा मिल जाता है जिसमें आपका नाम लिखा होता है।
लगने वाला समय और फीस प्रक्रिया
• समय: आमतौर पर 30–90 दिन लग सकते हैं (राज्य और विवाद पर निर्भर)।
• फीस: नाम मात्र की (₹50 – ₹500 तक, राज्य के हिसाब से)।
• यानी रजिस्ट्री करवाना और दाख़िल-ख़ारिज करवाना दोनों अलग-अलग काम हैं।
• रजिस्ट्री: स्टाम्प पेपर पर रजिस्ट्रार ऑफिस में।
• दाख़िल-ख़ारिज: तहसील/राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाना।
हरियाणा, दिल्ली और बिहार में दाख़िल-ख़ारिज की ऑनलाइन प्रक्रिया
बिहार में दाख़िल-ख़ारिज (Mutation) प्रक्रिया
1. पोर्टल पर रजिस्टर करें
Bihar Bhumi Portal पर जाकर “Apply for Mutation Online” या “दाख़िल-ख़ारिज आवेदन” लिंक पर क्लिक करें और यदि नए उपयोगकर्ता हैं तो पहले रजिस्टर करें।
2. लॉग इन करें और आवेदन भरें
अपने मोबाइल नंबर या OTP से लॉगिन करें, फिर फार्म में ज़िला, मोहल्ला, खाता-देनदार (खाता/खेसरा नंबर), विक्रेता और खरीदार की जानकारी भरें, और आवेदन सबमिट करें।
3. दस्तावेज़ अपलोड करें और फीस जमा करें
बिक्री पत्र (Sale Deed), पहचान पत्र (Aadhaar/Voter ID), खतौनी की प्रति, मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि उत्तराधिकार में) और शपथपत्र (आवश्यक होने पर) जैसे दस्तावेज़ पीडीएफ में अपलोड करें। आम फीस लगभग ₹100–₹150 होती है।
4. आवेदन सबमिट → ट्रैकिंग करें
सबमिट करने पर आपको एक Application ID/Mutation Request Number मिलेगा। इसे इस्तेमाल करके आप ऑनलाइन स्थिति ट्रैक कर सकते हैं—जैसे कि Pending या Approved।
5. समय सीमा और स्थिति
आमतौर पर 21–30 कार्य दिवसों (1–4 सप्ताह) में म्यूटेशन हो जाता है, ज़िले और सत्यापन पर निर्भर।
6. नवीनतम आरंभिक सुधार अभियान
अगस्त 16 से सितंबर 20, 2025 तक Rajaswa Maha Abhiyan अभियान के तहत राजस्व कर्मचारी घर-घर जाकर रिकॉर्ड सुधारने में मदद कर रहे हैं।
7. यदि आवेदन खारिज हो जाए
यदि तहसील अधिकारी (CO) आवेदन अस्वीकार कर दें, तो अब आप डिप्टी कलेक्टर (DCLR) के पास अपील कर सकते हैं। यह हालिया बदलाव पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाया गया है।
दिल्ली में दाख़िल-ख़ारिज (Mutation) प्रक्रिया
प्रक्रिया मुख्यतः ऑनलाइन है:
• MCD (Municipal Corporation of Delhi) ने दिल्ली में सितंबर 2019 से मैनुअल दाखिल-ख़ारिज प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी है और अब पूरी प्रक्रिया डिजिटल होकर ऑनलाइन होती है।
• रजिस्ट्रेशन के बाद संबंधित पोर्टल पर “e-change of name certificate” डाउनलोड किया जा सकता है, जो QR-code सहित सर्टिफिकेट होता है—जिस पर हस्ताक्षर नहीं जरूरी है।
• नोटिस भी केवल ऑनलाइन माध्यम से जारी होते हैं और स्टेटस आप पोर्टल पर देख सकते हैं—इससे पारदर्शिता बढ़ी है और मौका-मौका पर जवाब मिलना आसान हुआ है।
1. पोर्टल पर जाएँ
यहाँ Property से जुड़ी Online Services मिलेंगी।
Property Tax / Mutation वाला सेक्शन चुनें।
2. लॉगिन / रजिस्टर करें
• अगर आप नए उपयोगकर्ता हैं तो पहले Sign Up करके अकाउंट बनाना होगा।
• Mobile Number / Email के साथ OTP Verification होता है।
3. Mutation Application भरें
• “Apply for Mutation of Property” पर क्लिक करें।
• Property का Zone चुनें (North / South / East Delhi)।
• Property ID / Address / Old Owner Name / New Owner Name भरें।
• Transfer की Type चुनें (Sale, Gift, Inheritance आदि)।
4. दस्तावेज़ अपलोड करें
PDF / JPEG में स्कैन करके अपलोड करें:
• Sale Deed / Gift Deed / Will
• Identity Proof (Aadhar / Voter ID)
• Property Tax Clearance Certificate
• Death Certificate (अगर विरासत में नाम बदलना है)
• Affidavit / Indemnity Bond (कुछ मामलों में)8
5. Fees Payment
• Mutation Fees (आमतौर पर ₹100 से ₹200 तक + Property Tax बकाया अगर हो तो) ऑनलाइन NetBanking / UPI / Card से जमा करनी होती है।
6. Application Submit → Acknowledgement
• आवेदन सबमिट करने के बाद एक Acknowledgement Number मिलेगा।
• इसी से आप स्टेटस ट्रैक सकते हैं l
7. Verification Process
• MCD अधिकारी आपके आवेदन और Documents चेक करेंगे।
• अगर कोई कमी या आपत्ति है तो Portal पर “Deficiency Notice” जारी होगी।
• आप Online Upload करके उसे पूरा कर सकते हैं।
8. समय सीमा
• Mutation Approval & Certificate सब ठीक होने पर आपका Mutation Approve हो जाएगा।
• अब आप पोर्टल से ही e-Mutation Certificate (QR Code सहित) डाउनलोड कर सकते हैं।
• अब Manual Certificate (हस्ताक्षरित) नहीं मिलता, केवल Digital Certificate ही वैध है।
आमतौर पर 15–30 दिन में Delhi Mutation Approve हो जाता है (यदि विवाद न हो)।
हरियाणा में दाख़िल-ख़ारिज (Mutation) प्रक्रिया
अब यह प्रक्रिया भी डिजिटल हो चुकी है:
• हरियाणा सरकार ने जुलाई 2023 में WebHalris पोर्टल लॉन्च किया है, जो रजिस्ट्री (Inteqal) होते ही म्यूटेशन को ऑटोमैटिकली जनरेट कर देता है। यदि कोई आपत्ति नहीं होती तो 10 दिनों में Mutation स्वीकृत हो जाता है।
• Mutation का विवरण WebHalris पर उपलब्ध होता है जिसे कोई भी देख सकता है। यदि 10 दिनों में कोई आपत्ति न आए, तो Mutation पूरा माना जाता है।
• तहसील या Atal Seva Kendra पर जाकर Certificate की कॉपी ली जा सकती है।
• बढ़ी हुई पारदर्शिता और तेज़ प्रक्रिया—SDM और DRO को भी रजिस्ट्रार के समान अधिकार दे दिए गए हैं।
• एक अन्य गाइड के अनुसार, यदि आपनें Jamabandi पोर्टल (e.g., jamabandi.nic.in) से आवेदन किया है, तो ₹250 mutation fee + ₹50 DITS charge + अन्य मामूली शुल्क लग सकता है। स्टेप्स में Application भरना, पटवारी सत्यापन, 7-day public notice, CRO द्वारा आदेश, और अंततः सर्टिफ़िकेट डाउनलोड शामिल है।
Mutation (दाख़िल-ख़ारिज) में होने वाली आम गलतियाँ
1. अधूरे / गलत दस्तावेज़ जमा करना
लोग Sale Deed की अधूरी कॉपी या बिना Stamp वाली Scan Upload कर देते हैं। पहचान पत्र (Aadhar, PAN) mismatch हो जाते हैं। नतीजा: आवेदन “Deficiency” में चला जाता है और बार-बार Upload करना पड़ता है।
2. Property Tax Clearance न देना (दिल्ली में)
दिल्ली में अगर Property Tax pending है तो Mutation approve नहीं होगा। हमेशा Mutation Apply करने से पहले Property Tax की No Dues Receipt अपलोड करें।
3. वारिसान में नाम दर्ज कराते समय गलत वारिस सूची
कई लोग Death Certificate तो दे देते हैं, लेकिन Heirship Certificate / वारिसान नामावली सही नहीं लगाते। नतीजा: दूसरे वारिस आपत्ति लगा देते हैं और Mutation रुक जाता है।
4. गलत खाता / खेसरा नंबर भरना (बिहार व हरियाणा में)
लोग अक्सर Registry और Portal पर भरा गया खाता/खेसरा mismatch कर देते हैं। नतीजा: Mutation गलत Property पर लग सकता है या Reject हो सकता है।
5. सुनवाई में उपस्थित न होना (बिहार में)
बिहार में अगर किसी ने आपत्ति लगाई और सुनवाई में आप मौजूद नहीं हुए, तो Mutation Reject हो सकता है।
6. समय पर Application Status न चेक करना
लोग Application डालकर भूल जाते हैं। अगर Notice या Objection आया और आपने समय पर Response नहीं दिया, तो केस बंद हो जाता है।
7. Payment Pending रहना
कभी-कभी Online Payment का Status “Pending” दिखाता है और लोग समझते हैं कि हो गया। Payment Receipt Download करके जरूर रखें।
Dakhil Kharij के इन गलतियों से कैसे बचें?
1. सभी दस्तावेज़ साफ़ और पूरी तरह स्कैन करके अपलोड करें।
2. नाम, खाता, खेसरा और Registry Number cross-check करें।
3. वारिस Mutation में सभी कानूनी वारिसों के नाम शामिल करें (चाहे बाद में Share बँटे)।
4. Property Tax का पूरा हिसाब Clear रखें (दिल्ली में सबसे ज़रूरी)।
5. Status हर 3-4 दिन में Portal पर चेक करते रहें।
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